
‘ऑपरेशन कालनेमी’ के नाम पर फक्कड़ों की शामत, थाना कोतवालियों में मची होड़
हरिद्वार। देवभूमि में ‘ऑपरेशन कालनेमी’ चलाने का फैसले की हर ओर प्रशंसा हुई। धर्म, आस्था और अंधविश्वास की आड़ में अपनी गाड़ी कमाई लुटा रही भोलीभाली जनता को बचाने के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमी’ वक्त की बड़ी जरूरत भी थी, लिहाजा पुलिस ने इसे अपने ढंग से लिया और ‘ऑपेशन कालनेमी’ के नाम पर थाना कोतवालियों में ऐसी होड़ लगी कि बेचारे भिखारी इस ऑपरेशन के लपेटे में आ गए।
थाना कोतवालियों में मची होड
‘ऑपरेशन कालनेमी’ के नाम पर थाना कोतवाली ही नहीं चौकी स्तर पर भी भिखारियों को पकड़ने की ऐसी होड़ मची है कि पुलिसकर्मी ढूंढ ढूंढकर भिखारी पकड़ रहे हैं। सबसे ज्यादा बुरे हाल उन क्षेत्रों के हैं.. जहां कोई बड़ा धार्मिक स्थल नहीं है।
पकड़े गए किसी भी आरोपी के पास से नहीं मिला कुछ भी
हालात ये हैं कि पिछले 2 दिनों में इस ऑपरेशन के दौरान कुल 116 भिखारी पकड़े गए, लेकिन इनके पास से पुलिस कुछ ना बरामद कर सकी.. ना ही ये बात सामने आई कि ये कालनेमी कब और कैसे बने।
नगर और देहात क्षेत्र में पुलिस के आंकड़े
ऑपरेशन कालनेमी के नाम पर भिखारियों को पकड़ने वाली हरिद्वार पुलिस ने 123 भिखारी पिछले 2 दिनों में पकड़े हैं। हर थाना – कोतवाली स्तर पर अभी भी होड़ मची है। हरकीपौड़ी, पिरान कलियर में ये भिखारी आसानी से पकड़े जा सकते हैं, लेकिन लक्सर, खानपुर, मंगलौर पुलिस भी इस अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते दिखाई दी।
बड़ी मछलियां मजे में
हरिद्वार में सप्तऋषि से लेकर कलियर, श्यामपुर में गैंडीखाता से लेकर बिहारीगढ़ तक तमाम ऐसे आश्रम, दवाखाने, खानदानी क्लीनिक, बाबा, तांत्रिक मौजूद हैं। दीवारों से लेकर अखबारों तक में इनके बड़े बड़े विज्ञापन बाकायदा इनके पते और मोबाईल नंबर के साथ छपते हैं, लेकिन पुलिस को ये दिखाई नहीं दे रहा।