
शांत स्वभाव, कड़े फैसले और धाकड़ छवि…इन सब के मिश्रण से जो व्यक्तित्व तैयार होता है…उसका नाम है पुष्कर सिंह धामी…..
अभी महीने भर भी पुरानी बात नहीं है…हरिद्वार में एक जमीन का लैंड यूज चेंज करके बड़ा घोटाला किया गया और 15 करोड़ की जमीन का दाम अचानक से बढ़कर 55 करोड़ से ज्यादा हो गया…डीएम समेत जिले के अधिकारियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया… बात जब प्रदेश के मुखिया और तेजतर्रार मुख्यमंत्री धामी तक पहुंची तब उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों की एक जांच समिति बनाई और सख्त निर्देश दिए कि कोई भी घोटालेबाज बचना नहीं चाहिए…
महज़ 2 दिन पहले ही उस समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी…और मंगलवार सुबह उठकर मुख्यमंत्री धामी ने सबसे पहले हरिद्वार के जिलाधिकारी समेत दो आईएएस अधिकारियों, एक पीसीएस अधिकारी और घोटाले में संलिप्त तमाम कर्मचारियों अधिकारियों को निलंबित कर दिया… इतना ही नहीं इन सभी के विरुद्ध विजिलेंस तथा कैग की जांच भी शुरू करने की संस्तुति की गई है…
उत्तराखंड राज्य के इतिहास में भ्रष्टाचार के विरुद्ध की गई यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है…और इसका श्रेय निश्चित रूप से हमारे निडर, निर्भीक और धाकड़ धामी की इच्छा शक्ति व उनके संकल्प को जाता है…
यहाँ पर एक हफ्ते पुरानी एक और घटना का जिक्र करना आवश्यक है, जब माननीय न्यायालय ने सरकार की मजबूत पैरवी के कारण बहन अंकिता भंडारी के हत्याकांड के दोषियों को सख्त उम्र कैद की सजा सुनाई… खास बात यह भी है कि पिछले तीन वर्षों में बहन अंकिता के हत्यारे जमानत पाने को तरस गए…विपक्षी कांग्रेस पार्टी तथा लेफ्ट-लिबरल पोषित तमाम समूहों ने सरकार के खिलाफ लगातार एक एजेंडा चलाया जिससे प्रदेश में नकारात्मक माहौल बने…लेकिन यह धामी की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि दोषी अब अपनी पूरी उम्र जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे…
पिछले तीन वर्षों में धामी ने हजारों हेक्टेयर जमीन को लैंड जेहादियों के कब्जे से मुक्त कराया है…उत्तराखंड में अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं तथा बांग्लादेशियों की पहचान की जा रही है, और उन्हें लगातार राज्य से डिपोर्ट किया जा रहा है…
जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के तीन प्रमुख संकल्पों…राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता में से UCC के संकल्प को सिद्ध तक पहुंचाने वाला उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है…अपनी प्रशासनिक दक्षता का लोहा मनवाते हुए CM धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू भी कर दी और राज्य के किसी भी हिस्से से विरोध की एक भी आवाज नहीं उठी…
राज्य में रिकॉर्ड निवेश…सख्त नकल कानून…और ऐसे ही न जाने कितने फैसले हैं जिनका यदि जिक्र करने लग जाऊँ तो यह पोस्ट बहुत लंबी हो जाएगी…
अंत में सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि CM धामी जो कुछ भी करते हैं उसका ढोल तो नहीं बजता है…लेकिन उसकी धमक बहुत दूर तक और बहुत लंबे समय तक सुनाई देती है…
उनकी कार्यशैली हमें सिखाती है कि जेन-नेक्स्ट के लीडर को कैसा होना चाहिए…